क्या 3 वर्ष से ज्यादा अवधि से बकाया चल रहे, क्रेडिटर्स (Creditors) के बैलेंस को आयकर अधिकारी द्वारा करदाता की आय में जोड़ा जा सकता है ?

Advocate Birbal Sharma
3 Min Read

क्या 3 वर्ष से ज्यादा अवधि से बकाया चल रहे, क्रेडिटर्स (Creditors) के बैलेंस को आयकर अधिकारी द्वारा करदाता की आय में जोड़ा जा सकता है ?

यह एक महतवपूर्ण सवाल है और इसका जवाब ना में है, यदि किसी व्यवसायी या व्यापारी की बैलेंस शीट में 3 वर्ष से अधिक अवधि से ज्यादा समय से क्रेडिटर्स (Creditors) खड़े हैं, तो उन्हें आयकर अधिकारी द्वारा करदाता की आय में नहीं जोड़ा जा सकता है, चाहे 3 वर्ष से ज्यादा पुराने दायित्वों के लिए Limitation Act के तहत क्रेडिटर्स (Creditors) कानूनी रूप से मुकदमा नहीं कर सकता, लेकिन आयकर अधिकारी द्वारा यह मान लेना कि करदाता 3 साल पुराने क्रेडिटर्स (Creditors) का भुगतान नहीं करेगा, और उसकी आय में जोड़ देना गलत है |

ऐसा ही एक मामला COMMISSIONER OF INCOME TAX, AHMEDABAD-III Vs. PURIDEVI MAHENDRA KUMAR CHAUDHARY के मामले में कर अधिकारी द्वारा पाया गया कि 14 लेन-देन ऐसे हैं, जिनकी राशि पिछले 3 वर्षों से ज्यादा समय  से बकाया चल रही है, और Limitation Act के तहत ऐसे क्रेडिटर्स (Creditors) 3 वर्षों से ज्यादा समय  से बकाया चल रही राशि की वसूली के लिए मुकदमा भी नहीं कर सकते हैं, और इस आधार पर इन क्रेडिटर्स (Creditors) की बकाया राशि को करदाता की आय में जोड़ते हुए कर निर्धारण आदेश पारित कर दिया गया था, कमिश्नर अपील पर अपील किए जाने के उपरांत कमिश्नर (अपील )द्वारा भी आदेश को निरस्त कर दिया गया तथा आयकर ट्रिब्यूनल में भी कमिश्नर के निर्णय को सही करार दिया गया |

जिसके विरुद्ध डिपार्टमेंट द्वारा उच्च न्यायालय में अपील की गई और गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा भी कहा गया कि बकाया पुराने दायित्वों को करदाता की आय नहीं माना जा सकता है |

ऐसा ही Sugauli Sugar Works (P.) Ltd के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है, कि जब तक क्रेडिटर्स (Creditors) को सामने से नहीं  बुलाया जा सकता है, तब यह साबित नहीं किया जा सकता है कि दायित्व अवधि पार हो चुकी  हैं |

ऐसा ही Nitin S. Garg के मामले में गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा था, कि निर्धारण अधिकारी को साबित करना होगा कि, कर दाता को उस दायित्व से माफी मिल गई है |

- Advertisement -

Also Read

तलाशी के दौरान कितने आभूषण और गहनों को जब्त नहीं किया जा सकता है

आयकर कानून के सजा (कारावास) के प्रावधान

Magazine on Income tax amendments 2018 (Digital Product) Only 10 Rupees

Amend the section 44AE in Finance Bill-2018

Substitution of new Section 80AC budget 2018 

- Advertisement -

(If you liked the Article, please Subscribe)

[email-subscribers namefield=”YES” desc=”” group=”Public”]

Share This Article
Education- M.Com, LL.B, DLL, LLM Practice Courts - Rajasthan High Court, Income Tax Appellate Tribunal and Intellectual Property Right Attorney Contact Number- 09785037216 Email ID-advocatebirbalsharma@gmail.com
1 Comment