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क्या कोई हिन्दू व्यक्ति जीवन साथी के जीवित रहते दूसरा विवाह कर सकता है? || Can a hindu person marry another while living partner?

Print PDF eBookक्या कोई हिन्दू व्यक्ति जीवन साथी के जीवित रहते दूसरा विवाह कर सकता है ? इसका जवाब है नहीं. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5(1) के अनुसार प्रथम विवाह के पक्षकार के जीवित रहते दूसरा विवाह मान्य नहीं होगा | यह विवाह कानून के...

क्या कोई हिन्दू व्यक्ति जीवन साथी के जीवित रहते दूसरा विवाह कर सकता है ?

इसका जवाब है नहीं. हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5(1) के अनुसार प्रथम विवाह के पक्षकार के जीवित रहते दूसरा विवाह मान्य नहीं होगा | यह विवाह कानून के प्रतिकूल तथा निष्प्रभावी माना जाएगा, सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है. कि यदि कोई जीवन साथी के जीवित रहते दूसरा विवाह करता है. तो ऐसा विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 11, धारा 17, के अनुसार अकृत एवं शुन्य माना  जायेगा एवं उस पर द्विविवाह , धोखाधड़ी और क्रूरता के लिए मुकदमा चलाया जा सकेगा, साथ ही वह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 494 (Section 494 of Indian penal code) 495 (Section 495 of Indian penal code) के अंतर्गत दंडनीय होगा, जिसके लिए सजा एक अवधि के लिए कारावास जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।

यमुनाबाई अनंतराव आवध बनाम अनंतराव शिवराम आवध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसा विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5 के शर्तो का उल्लघन है, जो कि प्रारंभ से ही शुन्य माना जाता है | 

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5(1) (Section 5(i) of The Hindu Marriage Act, 1955) के मुताबिक हिंदू केवल एक शादी कर सकता है। यह कानून लागू होने से पूर्व कोई हिंदू एक से अधिक विवाह कर सकता था। लेकिन कानून लागू होने के उपरांत वैध विवाह के लिए हिन्दू विवाह अधिनियम की शर्तो को पूरा करना आवश्यक है |

अपवाद  निम्न परिस्थतियो में किया गया द्विविवाह अपराध नहीं होगा-

यदि किसी व्यक्ति के जीवन काल में पति या पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, तो वह न्यायालय की मंजूरी से दुसरा विवाह कर सकते है| सात वर्षो तक दोनों में से किसी एक की अनुपस्थिति, जिसके जीवित होने की कोई जानकारी नहीं सुनी हो, और क्षेत्राधिकार न्यायालय द्वारा प्रथम विवाह को शुन्य घोषित कर दिया गया हो, या तलाक की आज्ञाप्ति के आधार पर पहले विवाह को भंग कर दिया हो, और जिस पक्षकार से विवाह कर रहा है, उसे उपरोक्त तथ्य पता हो, उपरोक्त परिस्थितियों में दुसरा विवाह अपराध नहीं होगा |

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