Criminal Law

पॉक्सो कानून पर संक्षिप्त विवरण नए संसोधन के साथ (Brief description on POCSO law with new amendment)

पॉक्सो कानून क्या है ? यह कब और क्यों लागू हुआ ?(what is POCSO law ? When and why it came into force?)

पॉक्सो का पूरा नाम “प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस” है, जिसका हिंदी में अर्थ लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण है | वर्तमान युग में मासूम एवं नाबालिग़ बच्चो के साथ रेप की घटनाये बढती जा रही है , लोग जगह जगह प्रदर्शन कर रहे है, बच्चों के साथ आए दिन यौन अपराधों की ख़बरें समाज को शर्मसार करती हैं, इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर सरकार ने वर्ष 2012 में यह विशेष कानून बनाया था, जो बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है | इस कानून से पहले भारत में यौन अपराधों के लिए कोई अलग से कानून नहीं था, इस कानून की ख़ास बात यह है कि भारतीय दण्ड संहिता अधिनियम 1860 के अंतर्गत केवल पुरुष ही बलात्कार का दोषी माना जाता था, लेकिन पॉक्सो एक्ट में लड़का और लड़की का अपराध समान माना गया है, और दोनों के लिए सुरक्षा प्रदान की गयी है, अतः बालक के उचित विकास के लिए यह आवश्यक हैं कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा नाबालिक बच्चो की गोपनीयता के अधिकार का सम्मान किया जाये एवं सुरक्षा प्रदान की जाए , जिससे बालक के शारीरिक स्वास्थय ,भावात्मक और बौद्धिक क्षमता का विकास किया जा सके |

पॉक्सो कानून में अपराधो की सुनवाई किस प्रकार की जाती है ?( How is the hearing of crimes in POCSO law?)

पॉक्सो कनून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई, एक विशेष न्यायालय द्वारा बंद कमरे में कैमरे के सामने बच्चे के माता पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है, उनकी उपस्थिति में होती है, और इस दौरान बच्चे की पहचान गुप्त रखी जाती है | यदि पीड़ित बच्चा विकलांग है या मानसिक रूप से या शारीरिक रूप से बीमार है, तो विशेष अदालत को उसकी गवाही को रिकॉर्ड करने या किसी अन्य उद्येश्य के लिए अनुवादक या विशेष शिक्षक की सहायता लेनी होती है |

पॉक्सो कानून में कौनसे अपराध शामिल है और इन अपराधो के लिए कितनी सजा का प्रावधान है?( Which crime is included in POCSO law and how much punishment is there for these crimes?)

18 साल से कम उम्र के नाबालिग बच्चों के साथ किया गया किसी भी तरह का यौ)न व्यवहार इस कानून के अन्तर्गत आता है, जिसके तहत नाबालिग़ बच्चों के साथ सेक्सुअल असाल्ट ,सेक्सुअल हेरास्मेंट, और पोर्न ग्राफी जैसे अपराध शामिल है, इन अपराधो से सुरक्षा के लिए इस कानून के तहत अलग- अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा और जुर्माना तय किया गया हैं ।criminal law

पोक्सो कानून की मुख्य धाराए इस कानून के अंतर्गत किये गये अपराध सजा एवं जुर्माने का प्रावधान
धारा 3 व 4 धारा 3 के  के तहत  प्रवेशन लैंगिक हमला (penetrative sexual assault) को परिभाषित किया गया है, जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे के शरीर के किसी भी पार्ट में प्राइवेट पार्ट डालता है, या बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कोई चीज डालता है या बच्चे को ऐसा करने के लिए कहता है तथा बच्चे के साथ दुष्कर्म किया गया है  तो यह धारा-3 के तहत अपराध होगा। धारा 4 के   अनुसार 7 साल से लेकर उम्रकेद की  सजा तथा जुर्माने का प्रावधान है ।
धारा 6 धारा 6 के तहत उन मामलों को शामिल किया जाता है   जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो  या जिनमें बच्चो के साथ लैंगिक हमला किया गया हो, धारा 6  के   अनुसार  10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है ।
धारा 7 व 8 धारा 7 के तहत उन मामलों को शामिल किया जाता है, जिसमें बच्चों के गुप्तांग के साथ छेड़छाड़ की गई हो ।

धारा 8 के   अनुसार    इसमें दोष सिद्ध होने पर 3 से 5 साल तक की सजा और जुर्माना  भी हो सकता है।

धारा-11,  12 धारा-11  के तहत उन  सेक्सुअल हैरेसमेंट  ‘Sexual harassment’ को परिभाषित किया गया है,  जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति बच्चों को गलत नियत छूता है या सेक्सुअल हरकतें करता है, अश्लील प्रयोजनों के लिए एक बच्चे को लुभाता है  या उसे पोर्नोग्राफी दिखाता है | धारा 12 के   अनुसार   दोष सिद्ध होने पर 3 साल तक की सजा और जुर्माना  भी हो सकता है ।

पॉक्सो में नये संसोधन के बाद क्या बदलाव हुए ? (pocso act amendment 2018)

अप्रैल 2018 में पॉक्सो एक्ट में संशोधन के लिए कैबिनेट की मंजूरी के बाद इन मामलों में सजा के प्रावधान और भी सख्त कर दिए गये है, जिसमें 12 साल से छोटी बच्ची के साथ रेप पर फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है | 2018 में किये गये संसोधन में 16 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के मामले में सजा 10 साल से बढाकर 20 साल कर दी गयी है|

नए संसोधन के अनुसार पोक्सो के मामले में अब किसी दोषी व्यक्ति को अग्रिम जमानत (Anticipatory bail) भी नहीं मिलेगी, दोषी व्यक्ति को सरेंडर करके जेल जाना होगा, तथा भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 376, 376AB, 376DA, 376DB के अनुसार रेप मामले में बेल पर सुनवाई से पहले कोर्ट को पब्लिक प्रोसिक्यूटर और पीड़िता पक्ष को 15 दिन का नोटिस देना होगा |

पॉक्सो के नए कानून में जांच व सुनवाई की समय सीमा कितनी होगी ?( What is the time limit for the investigation and trial of POCSO’s new law? )

पॉक्सो के नए कानून में जांच व सुनवाई की समय सीमा तय कर दी गयी है जिसके तहत रेप के हर मामले की जांच किसी भी हाल में 2 महीने के अंदर पूरी की जाएगी, रेप मामलों की सुनवाई भी 2 महीने के अंदर पूरी कर ली जाएगी, तथा रेप मामलों में अपील और अन्य सुनवाई के लिए अधिकतम छह महीने का वक्त दिया जाएगा |

पॉक्सो कानून में हुए संसोधन के बाद यौन अपराधो पर कितनी रोक लगी है ?( After the amendment in POCSO Law, how much is the prohibition on sexual offenses?)

पॉक्सो के अंतर्गत बच्चों के खिलाफ यौन अपराध के बहुत से मामले 2012 से 2016 के बीच दर्ज किये गए हैं, इसमें कुछ मामले अभी भी कोर्ट में लंबित पड़े हुए है जबकि अपराधी को सजा मिलने की दर बहुत कम है , जो कि अपराधों को रोकने के लिए सक्षम नहीं है, हालाँकि सरकार के 2018 के संसोधन से किये गये बदलाव व फांसी की सजा के प्रावधान से इन अपराधो पर कुछ हद तक अंकुश लगा है, लेकिन सरकार को इस एक्ट में और जरूरी सुधार करने होंगे ताकि पीड़ित को जल्दी से जल्दी न्याय मिल सके, लंबित मुकदमे और सजा की दर बताती है कि सिर्फ कानून बनाने से रेप के मामले नहीं रुकेंगे इसके लिए प्रशासनिक जवाबदेही भी तय करनी होगी, ज्यादातर मामलों में देखने में आया है कि बच्चों का शोषण जान-पहचान के लोग ज्यादा करते हैं, और घर के लोग उन पर शक भी नही करते हैं, और बच्चे डर के कारण ये बाते किसी से बता नहीं पाते और वे शोषण का शिकार हो जाते है, इसलिए माता- पिता का यह दायित्व बनता है कि वे अपने बच्चो को जागरूक करे और इन सब अपराधो की जानकारी दे और जिन लोगों के साथ बच्चे खेल रहे हैं, उन पर पूरी नजर रखें |

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Advocate Birbal Sharma

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