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यदि कोई व्यक्ति अनजाने में धर्म का अपमान करता है तो क्या वह धारा 295-अ का दोषी होगा ?||If a person unknowingly insults religion, will he be guilty of Section 295-A?

Print PDF eBookयदि कोई व्यक्ति अनजाने में धर्म का अपमान करता है तो क्या वह धारा 295-अ का दोषी होगा ? (section 295a ipc in hindi) उपरोक्त प्रश्न का जवाब है नहीं, यदि कोई व्यक्ति अनजाने में बिना किसी गलत उद्देश्य के किसी भी वर्ग...

यदि कोई व्यक्ति अनजाने में धर्म का अपमान करता है तो क्या वह धारा 295-अ का दोषी होगा ? (section 295a ipc in hindi)

उपरोक्त प्रश्न का जवाब है नहीं, यदि कोई व्यक्ति अनजाने में बिना किसी गलत उद्देश्य के किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करता है, तो उसे सजा नहीं दी जाएगी,क्योकि सुप्रीम कोर्ट के नये फैसले के अनुसार अगर ऐसा होता है तो यह भारतीय दण्ड संहिता अधिनियम 1860 की धारा 295-A का दुरूपयोग होगा | इस कानून के तहत यदि किसी व्यक्ति पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने के मामले में आरोप साबित हो जाता है, तो आरोपी को कानून की Section  295A के उल्लंघन पर कम से कम तीन साल की व जुरमाना दोनों हो सकते है |

वर्तमान युग में लोग धर्म आदि को ज्यादा महत्त्व देते है,  कई बार लोग बिना सोचे समझे लापरवाही में कुछ ऐसा बोल देते  है जिससे लोगो को लगता है की उनकी धार्मिक भावनाओं का अपमान हुआ है, जिसके कारण कुछ लोग मामले को कोर्ट में सुनवाई के लिए ले जाते है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा अनजाने में किसी धर्म का अपमान हो जाता है, तो इसे नजर अंदाज किया जाए, क्योकि अगर व्यक्ति द्वारा बिना सोचे बोली गयी हर बात पर गौर किया जाएगा तो मामलो का ढेर लग जायेगा, और यह संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन होगा |

सुजतो भद्र  बनाम पश्चिम बंगाल राज्य 2006 क्रि. एल.जे. 368(कलकता)-

में बंगलादेश की तस्लीमा नसरीन द्वारा लिखित पुस्तक “द्विखंडिता” लेखिका की स्वयं की आत्मकथा पर तृतीय खंड की पुस्तक है,उनकी स्वयं की मात्रभूमि में स्त्रियों की दशा के सन्दर्भ में लिखे गये परिच्छेद क्या अपराधिक है ,यह प्रश्न था | कलकत्ता उच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया की धर्म को अपमानित करने के लिए भारत में नागरिको के उस वर्ग की धार्मिक भावनाओ को अघात पहुचाने या धार्मिक विश्वास को ठेस पहुचाने का कोई आशय लेखिका का नहीं था, अतः इस पुस्तक के समपहरण का आदेश अपास्त किये जाने योग्य है |

क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी पर Section 295 A का केस दर्ज हुआ था

क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी पर Section 295 A का केस दर्ज हुआ था, जिसके तहत एक बिज़नस मैगजीन में  विष्णु के रूप में महेंद्र सिंह धोनी की तस्वीर छाप दी गयी थी, जिसके तहत कोर्ट के फैसले में कहा गया की धोनी द्वारा यह कार्य जानबूझकर व गलत इरादे से नहीं किया है |

इसी तरह से सन 2014 में भी सलमान खान ने एक रैंप शो के दौरान एक टी-शर्ट पहनी हुई थी, जिसमे उर्दू भाषा में कुछ लिखा हुआ था, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोगो ने कहा की हमारी धार्मिक भावनाओ का अपमान हुआ है, जबकि सलमान खान का ऐसा कोई इरादा नहीं था, कि वह किसी के धर्म का अपमान कर रहे है |

हां अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी वर्ग के धर्म का अपमान करता है तो उसके खिलाफ़ सख्त कार्यवाही होनी ही चाहिए, गलत इंटेंशन से की गई कोई भी हरकत सज़ा की हक़दार है, 295A के तहत आरोपी ने भारत के किसी भी धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान या अपमान का प्रयास किया हो, चाहे अपमानजनक शब्द हो, या लिखित रूप में हो, या फिर इशारों में हो, या किसी भी दृश्य रूप में हो वह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 295 A के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर 3 वर्ष का कारावास एवं जुर्माने अथवा दोनों से दण्डित किया जायेगा |

राम जी लाल मोदी बनाम राज्य ए.आई.आर. 1957 एस.सी. 620 में धारा 295-A को संविधानिक अभिनिर्धारित किया | इस मामले में न्यायालय ने “गौरक्षक” पत्रिका के याची मुद्रक और प्रकाशक को आपतिजनक लेख प्रकाशित करने के लिए इस धारा के अधीन दण्डित किया | यह अभिनिर्धारित करते हुए कि यह धारा अनुच्छेद 19(1) (क) के अंतर्गत वाक्-स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति-स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करती यह उस पर युक्तियुक्त निर्बन्धन डालती है, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि अनुछेद 25 और 26 के अन्तरगत धार्मिक स्वतंत्रता, लोक व्यवस्था, सदाचार, और स्वास्थ्य के अध्यधीन है |


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